पत्रकारिता से करीब २५ वर्षों का नाता है। शुरुआत पटना के जनशक्ति अखबार में बतौर रिपोर्टर। कुछ समय पाटलीपुत्र टाइम्स और एक उर्दू अखबार के लिए काम किया। वक्त खींच लाया भोपाल. कुछ दिन दैनिक जागरण के साथ रहा और फिर नईदुनिया के साथ जुड़ा बल्कि यूं कहूं कि चिपका तो १८ साल तक नाता नहीं टूटा. १९९१ के बाद बसेरा रहा इंदौर. वक्त की आंधी इसके बाद बहा ले गई दैनिक भास्कर जबलपुर, फिर इंदौर और उसके बाद थोड़े समय के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में बसेरा रहा. फिलहाल लोकमत समाचार में संपादक का दायित्व और ठौर ठिकाना है नागपुर.
पत्रकारिता के इन २५ वर्षों में तीन किताबें लिखीं। १. राजनीति का कुचक्र, २. रीती नदियां...रीती है जलधारा, ३. चलें धरा की ओर । नदियों की बदहाली पर एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म का निर्माण। पानी पर शोध के संदर्भ में कई देशों की यात्रा। लेखन और फोटोग्राफी के लिए कई पुरस्कार मिले।